Indian Education system की कड़वी सच्चाई !

Reality of indian education system | Prodates

 

Reality of Indian Education system

आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी व्यवस्था के बारे में इसके बारे में देश का कोई भी नागरिक बात करना नहीं चाह रहा है और शायद यही कारण है कि हमारा देश पिछले कई सालों से ऐसी गंदी शिक्षा व्यवस्था को झेल रहा है आज बात करेंगे भारत के एजुकेशन सिस्टम की कि आखिर कैसे भारत का एजुकेशन सिस्टम भारत के लोगों को गुलाम मानसिकता का शिकार बना रहा है तो सबसे पहले बात कर लेते हैं यहां की भाषा की भारत की भाषा यानी हिंदी राष्ट्रभाषा भी कहते हैं उसको हम कभी अंतरराष्ट्रीय भाषा नहीं बना पाए और उसका दोष सिर्फ हमको ही जाता है क्योंकि हम लॉर्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था को अपनाने लगे और अगर आप यह सोच

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रहे हो कि अंग्रेजों का मन था कि भारतीय अंग्रेजी सीखें और वह भी शिक्षित हो तो आपको बिल्कुल गलत अंदाजा है लॉर्ड मैकाले का कहना था कि हम सिर्फ कुछ ऐसे लोगों को बना रहे हैं जो हमारे बीच अनुवादक ट्रांसलेटर का काम करें कि भारत के लोगों को समझते थे और इसीलिए आज मुझे इस बारे में बात करनी जरूरी लग रही है बात कर लेते हैं पहले हिंदी की हिंदी को हमने किस तरह दिया हम सब जानते हैं भारत में सबसे ज्यादा फेल होने में छात्र हिंदी में ही होते क्योंकि भारत की शिक्षा व्यवस्था नहीं इतना कठिन बना दिया की आसान सी भाषा को जिसको हर इंसान अच्छे से बोल सकता है उसको भी कठिन बना दिया फालतू फालतू फालतू के दोहे बना दिए इस्तेमाल नहीं करने वाला है यह सबको पता है लेकिन हमारे भारतीय शिक्षा व्यवस्था ने हम सबको इसका मानसिक गुलाम बना दिया और शायद इसीलिए मुझको इस बारे में बात करनी जरूर Hindi चाहते तो अंतरराष्ट्रीय भाषा बन जाती Hindi भाषा हैजैसी पड़ी जाती है  वैसा ही बोला जाता है इसमें अच्छी बात है और हिंदी भाषा की खुफिया हमने आपको बता दी क्योंकि सबसे बड़ी खूबी है कि हिंदी भाषा में आपको गलतियां नहीं मिलती हैं हिंदी भाषा में कोई भी गलती नहीं मिलेगी आपको कोई भी इसमें कमी नहीं मिलने वाली जो जो लोग यह सोचते हैं कि अंग्रेजों की भाषा ज्यादा अच्छी है यानी इंग्लिश तो आपको बताना जरूरी पड़ेगा कि अंग्रेजी भी कई शब्द हिंदी से ले गए और मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है आप लोग शिक्षित होंगे खैर अब भाषा की बात तो हो गई और मुझे नहीं लगता कि अब भाषा की बात करनी जरूरी है कि कि जब हमारे देश में ही भारत में भाषा को अहमियत नहीं दी गई तो अब हम क्या कहा जाए अब बात करते हैं भारत के संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के विश्लेषण के भारत में शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी कहां होगी किसी को नहीं पता  भारत में शिक्षा व्यवस्था की बात करने से पहले एक बात जरूर जान लें कि भारत सरकार ने एक नई शिक्षा नीति को लाया है जिसके बाद शायद लगता है कि इसमें सुधार होगा लेकिन आपको बता दें यहां पर एक कहावत बहुत ज्यादा प्रचलित है यहां पर सरकार बदलती है हालात नहीं

तो हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था है उसको कभी आज तक प्रैक्टिकल ही लिया नहीं क्या जी हां यहां पर सिर्फ चीजों को हटाया गया है चीजों को कभी पढ़ा या नहीं गया तीनों को हमेशा रटाई आ गया है पूरी तरह डालो और अगर डाला तो जीत गए जीतने से अच्छे मार्क्स आ जाएंगे यहां पर हमेशा से एक बात कही जाती है कि मार्क्स बहुत मैटर करते हैं और शादी यही कारण है कि देश के कितने परसेंट लोग अभी भी प्रशिक्षित नहीं हैं और यह एक बहुत बड़ा आंकड़ा है अगर हम आपको पेश करें तो आपको लगेगा यह 2020 का भारत तो नहीं लग रहा पता नहीं किसका भारत है सरकार है जो दावा करती है उनको हकीकत में ललना सरकार का ही काम है हमारा नहीं अब देखना यह होगा कि नई शिक्षा नीति कब आएगी लेकिन हमारे देश में हर बार की तरह से ऐसा बेकार बनाया गया शायद कभी सुमन से पड़ेंगे नहीं विज्ञान जैसे विषयों को हमने कभी अहमियत ही नहीं दी हमने सिर्फ उनके फार्मूले को हटाने की कोशिश की है उनको डालो और काम हो जाएगा उनको याद कर लो काम हो जाएगा याद करने से ही कुछ नहीं होगा सरकार को और स्कूलों को भी सोचना चाहिए कि आखिर इस को कैसे अमल करें लोग उसको अपनी जिंदगी में कैसे उपयोग कर सकते हैं हम प्रैक्टिकल भी क्या सकते हैं लेकिन यहां पर सिर्फ इसको पढ़ो याद कर लो और एग्जाम दे दो का शेर होगा तो फिर शायद यही कारण है कि लोग आज मुफ्त का खाने की सोच रहे हैं जी हां मुफ्त का खाना मैं यह नहीं कह रहा हूं सोच रहा है लेकिन बहुत लोग सोच रहे हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आरक्षण देश में खत्म हो जाना चाहिए साफ कहता हूं मैं किसी की चाटुकारिता मैं कहता हूं कि किसी को भी नहीं मिलना चाहिए अगर मिले तो आर्थिक आधार पर भी मिलना चाहिए ये यह सोचिए आप की सरकार कहती है कि हमारे लिए सब बराबर है तो कुछ खास जातियों को ही सरकारी पेपर में बैठने के लिए कम अंक लाने पड़ते हैं और किसी को ज्यादा ऐसा क्यों सरकार तो अपने आप को सेकुलर मानती है तो क्या हो गया अब इसमें क्या आप सरकार कुछ नहीं बोलेंगे हमारे देश में आरक्षण केवल 10 साल के लिए लगाया गया था लेकिन अब यह तो वोट का कारण बन गया है और आपको पता है नेता कैसे होते हैं जहां वोट मिलेगा उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं और शायद यही कारण है कि भारत आज भी इतने सालों पीछे हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही कितने भी दावे करते हैं उनकी भारत बहुत आगे हैं लेकिन आपको एक चीज बताना जरूरी है कि भारत में आज भी बेरोजगारी बहुत है और इसका कारण ना ही प्रधानमंत्री हैं ना ही कोई पार्टी है इसका कारण है हम सब क्योंकि हम सब एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था को पढ़ रहे हैं जिससे ना तो हमसे सोच रहे हैं कि हमें रोजगार मिल जाए हम कभी यह नहीं सोच रहे हैं कि हम भी खुद का एक बहुत बड़ा व्यापार खड़ा कर लें जिससे कि लोगों को रोजगार मिले हम यहां पर सिर्फ सरकारी नौकरी ना मिलने वालों को ही कहते हैं बेरोजगार दुखी बिल्कुल गलत है आप कोई भी नौकरी करते हो वह रोजगार ही कहलाएगा लेकिन भारत की गुलामी मानसिकता के लोगों को यह बात समझ तो नहीं आने वाली अभी इसमें हम कुछ कर भी नहीं सकते कहां जा रहा है कि कक्षा 6 से ही अब कोडिंग और प्रोग्रामिंग जैसे सब्जेक्ट सिखाई जाने लगेंगे लेकिन आपको एक आंकड़ा दे रहे भारत में इतने ज्यादा स्कूल है जहां पर कंप्यूटर है ही नहीं लैब के लिए अब आप खुद समझ सकते हैं कि भारत में यह क्या हाल है इस वक्त शिक्षा व्यवस्था का भारत कभी भी अपनी जीडीपी का ज्यादा से ज्यादा प्रतिशत खर्च नहीं करता है शिक्षा पर क्योंकि शिक्षा ही आने वाले भारत का भविष्य है यह जानते हुए भी कोई भी सरकार ऐसा खतरा मोल नहीं लेता नहीं सरकारों के लिए खतरा कि मुझे खुद नहीं पता कि आखिर पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था की इतनी बुरी व्यवस्था क्यों है कि हम 71 साल से कुछ कर नहीं पाए देश के लिए खतरनाक नहीं बना पाए आप जानते होंगे हमारी कई भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं और उनमें से एक नाम ही काफी है हिंदी अब हम सवाल है कि इसको सुधार कैसे सकते हैं सुधारने के लिए आप यह समझ लीजिए कि आपको स्किल्ड बनना होगा आपको कौशल ता पूर्वक सब काम कर रहे होंगे तभी आने वाले समय में आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा अपनी नौकरी को बचा सकता है क्योंकि आने वाले समय में ऑटोमेशन जोशी तकनीक आज आएंगी जिन के बाद आप खुद समझ सकते हो कि आपका क्या होने वाला है

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